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GANGA SAPTMI - 30/APRIL/2020 - SHUBH MUHURAT , PUJA VIDHI , MANTRAS & BENEFITS

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GANGA SAPTMI

Ganga Saptami – 30 / अप्रैल / 2020

गंगा सप्तमी 2020 शुभ मुहूर्त (Ganga Saptami Shubh Muhurat)  -  30 / अप्रैल / 2020

गंगा सप्तमी मध्याह्न मूहूर्त - सुबह 10 बजकर 59 मिनट से दोपहर 1 बजकर 38 मिनट तक

सप्तमी तिथि प्रारम्भ -    दोपहर 03 बजकर 12 मिनट से (29 अप्रैल 2020)

सप्तमी तिथि समाप्त - अगले दिन दोपहर 02 बजकर 39 मिनट तक (30 अप्रैल 2020)

गंगाजी का मूल मंत्र

वेद व्यासजी कहते थे कि गंगाजी का एक गोपनीय मंत्र है और वो गंगाजी का मूल मंत्र एक बार भी जप करो तो तुम निष्पाप होने लगोगे |

गंगाजी का मंत्र –

ॐ नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नम: ||
 
जीभ तालू में लगाओ और मन में खाली एक बार बोलो | एक बार जपने से आप का मन पवित्र हो जायेगा | गंगा मैया !! आप विश्वरुपिनी हो, नर नारायण स्वरूपी हो, गंगामाई तुमको नमस्कार !!

 

पाठकों के लिए प्रस्तुत है एक सरल उपाय। अत: नित्यकर्म से निवृत्त हो जाने के पश्चात स्नान करते समय इस मंत्र का स्मरण अवश्य करें :- 

 गंगा स्नान का मंत्र :-   गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।

 

  •  गंगा सप्तमी का महत्व (Ganga Saptami Importance)


पौराणिक शास्त्रों के अनुसार बैसाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि के दिन मां गंगा स्वर्ग लोक से भगवान शिव की जटाओं में पहुंची थी। इसी कारण से इस दिन को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है। जिस दिन गंगा जी की उत्पत्ति हुई वह दिन गंगा सप्तमी और जिस दिन गंगा जी पृथ्वीं पर अवतरित हुई वह दिन गंगा दशहरा के नाम से जाना जाता है

गंगा स्नान का शास्त्रों में बहुत अधिक महत्व बताया गया है। लेकिन इस दिन गंगा जी में डूबकी लगाने से मनुष्य अपने जीवन के सभी दुखों से मुक्ति पा जाता है। गंगा सप्तमी के दिन गंगा मंदिरों के अलावा अन्य मंदिरों में भी विशेष पूजा अर्चना की जाती है। माना जाता है कि गंगा जी में स्नान करने से दस पापों का हरण होकर अंत में मुक्ति मिलती है। इस दिन दान पुण्य को भी विशेष महत्व दिया जाता है। इस दिन किया दान कई जन्मों के पुण्य के रूप में मनुष्य को प्राप्त होता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां गंगा लोगों के पापों का क्षय करके उन्हें जीवन मृत्यु के चक्कर से बाहर निकाल कर मोक्ष प्रदान करती है। जीवन में मनचाही सफलता पाने के लिए रोजमर्रा कई उपाय किए जाते हैं। गंगा में स्नान करते समय सभी पापों की क्षमा मांगने तथा मुक्ति प्राप्ति के लिए गंगा माता के इन मंत्रों का जाप करना चाहिए। 

 गंगा स्नान करने से भक्तों के सभी पापों का नाश हो जाता है और सभी दुखों से मुक्ति मिल जाती है, ऐसी मान्यता प्रचलित है। हर रोज हजारों-लाखों भक्त गंगा स्नान करते हैं,

गंगा सप्तमी (Ganga Saptami) के दिन स्नान और दान को विशेष महत्व दिया जाता है। बैशाख मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली गंगा सप्तमी के दिन गंगा नदी में स्नान (Ganga Snan) करने के बाद पित्तरों का तर्पण करने से उन्हें भी मुक्ति की प्राप्ति होती है


गंगा सप्तमी पूजा विधि (Ganga Saptami Puja Vidhi)

  1. गंगा सप्तमी के दिन साधक को सुबह प्रात: काल जल्दी गंगा तट पर जाकर गंगा नदी में स्नान करना चाहिए।
  2. इसके बाद उसे मां गंगा को पुष्प अर्पित करने चाहिए और गंगा नदी के तट पर दीपक प्रजवल्लित करना चाहिए।
  3. दीपक प्रज्वल्लित करने के बाद गंगा सप्तमी की कथा सुने या पढ़ें।
  4. किसी योग्य पुरोहित के माध्यम से गंगा नदी के घाट पर अपने पितरों का तर्पण करना चाहिए।
  5. इसके बाद किसी निर्धन व्यक्ति या ब्राह्मण को अपने पितरों के नाम से दान अवश्य देना चाहिए।
  6. दान देने के बाद गाय को भोजन अवश्य कराएं। क्योंकि गाय में सभी देवी देवताओं का वास माना जाता है। 
  7. इसके बाद शाम के समय फिर से गंगा घाट पर जाए।
  8. गंगा घाट पर जाने के बाद फिर से गंगा जी का विधिवत पूजन करें।
  9. पूजन करने के बाद मां गंगा की आरती उतारें।
  10. इसके बाद मां गंगा से अपने पापों के लिए श्रमा अवश्य मांगे।

 

मां गंगा की आरती (Maa Ganga Ki Aarti)

 ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता।
ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।
चंद्र सी ज्योति तुम्हारी, जल निर्मल आता। शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता।
ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।
पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता। कृपा दृष्टि हो तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता।
ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।
एक बार जो प्राणी, शरण तेरी आता। यम की त्रास मिटाकर, परमगति पाता।
ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।
आरति मातु तुम्हारी, जो नर नित गाता। सेवक वही सहज में, मुक्ति को पाता।
ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।

 

 

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